Tuesday, January 5, 2010

Suraj Ko Chamaat

कल शाम को साफ़ मना किया था उसे, के सुबह जल्दी मत आना....
चाँद के हाथों संदेसाभी भिजवाया था उसे....

फिरभी वो अपने टाइम पे आ ही गया, और उठा दिया मुझे;
मैंने भी गुस्से में आकर उसे चमाट जड़ दी...

सूरज आज पूरा दिन अपना लाल गाल लिए, आसमान में भटकता रहा....

2 comments:

  1. good one i like the concept suraj to chamat ..... uski garam aag sae sari duniya roshan hoti hai ... lekin bhuloo mat jab usae chamat padti hai to uski bhi gaal lal hoti hai ... lol

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  2. he he he..ab shayar se panga lega to yehi hoga na???

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