Tuesday, February 23, 2010

दिन को ये शहर मज़दूरों के पसीने सा और रात में शेख की Bentley सा चमकता हैं
ज़मीं के नीचे तेल और ज़मीं के ऊपर तेल की चमक दिखती हैं
आसमां से भी ऊंची इमारतें हैं यहाँ और समंदर के नीचे restaurants हैं

बस पैसों की चका चौंध हैं हर तरफ...
और इसी चमक को देखके दुनिया भर के लोग यहाँ तक आ जाते हैं
वैसे ही जैसे ऊंटों के कारवां सेहरा में रास्ते खोजते थे जज़ीरों के सितारों की रौशनी को देख कर

ऊंट को हटा के अब Lexus आ गई हैं
और बाज़ अरब के हाथों में नहीं सिर्फ तस्वीरों में दीखते हैं
रेगिस्तान को कभी सब जगह था....वहां अब concrete का जंगल हैं

मूसा ने तो सिर्फ समंदर को चीर के रास्ता बनाया था
यहाँ तो लोगों ने समंदर में दूसरा शहर बना दिया हैं
और खारे पानी को मीठा कर दिया हैं

यहाँ इंसान खुदा बन बैठा हैं

जो लोग कहते हैं के पैसा सबकुछ नहीं खरीद सकता, वो Dubai नहीं गए हैं कभी...