मैं खिड़की पे बैठा
देखता हूँ यातायात को
कोई गाडी एक छोर से आती है पुल पे
और दुसरे छोर से निकल जाती है
उन हज़ारों गाड़ियों में से कुछ एक याद रह जाती हैं
तुम भी वैसे ही मिली थीं ........
हज़ारों लोगों की भीड़ में
ज़िन्दगी के एक छोर से आई थी
दूसरे से चल दी थी