Thursday, October 13, 2011

यातायात

मैं खिड़की पे बैठा
देखता
हूँ यातायात को
कोई
गाडी एक छोर से आती है पुल पे
और
दुसरे छोर से निकल जाती है

उन हज़ारों गाड़ियों में से कुछ एक याद रह जाती हैं

तुम भी वैसे ही मिली थीं ........
हज़ारों
लोगों की भीड़ में
ज़िन्दगी
के एक छोर से आई थी
दूसरे
से चल दी थी

मैं अब भी अपनी खिड़की के पास बैठा भीड़ देख रहा हूँ

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