Tuesday, February 15, 2011

एक रुकी हुई बात

एक रुकी हुई बात
खाली जाम फिर से भरने तलक सन्नाटा
एक भी कश लिए बगैर जलके बुझ गई सिगरेट
एक टेलीफोन नंबर
notepad पे लिख के मिटाए हुए कुछ लफ्ज़
एक पुराना ख़त

एक बात अब भी रुकी हुई है लबों पर
एक और शाम फिरसे कुछ कहे बगैर गुज़र गई
सोच फिरसे बजेगी रात भर खली कमरे में

एक और रात फिर नींद नहीं आएगी

2 comments:

  1. Beautiful feelings....attached yet detached :)

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  2. :)u got that...aatachment choot ti nahin ha..detach hua nahin jaata

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