Monday, May 10, 2010

वो बीते दिन...

वो दिन याद हैं? जब हम ज़िन्दगी जीते थे?

वो दूरदर्शन की ख़बरों के साथ बहती ज़िन्दगी...
वो HMT की घडी के साथ चलती ज़िन्दगी...
वो Rajdoot की सवारी करती ज़िन्दगी...
वो BATA के जूतों में दौड़ती ज़िन्दगी...
वो ATLAS की साइकिल के पहियों पे संभलती ज़िन्दगी...
वो National Panasonic के two - in - one पे विविध भारती के साथ उठती ज़िन्दगी...

जेब हलकी ही रहती थी..पर 15 पैसे के बर्फ के गोले और 3 रुपैए की रबर की गेंद के लिए तो काफी थे पैसे...

bank balance हैं अब..
और LCD हैं घर पे ३७ इंच का. और नीचे गराज में अपनी कार भी हैं.
कलाई पे बंधी casio पे अब digital वक़्त दिखता हैं और CNN पूरी दुनिया की ख़बरें dinner के साथ परोसता हैं...

पर अब भी कुछ missing तो हैं...

अब भी पुरानी बातें याद करते हैं तो ..ज़िन्दगी "रुकावट के लिए खेद हैं" कहके कुछ देर रुक जाती हैं...
तब लगता हैं के...ज़रूर कहीं हिसाब में गलती हुई हैं मुझसे...

ज़िन्दगी की passbook में credit के खाने में entries बस थोड़ी सी हैं...
और debit की column में मेरे बचपन के साथ साथ और कितनी खुशियाँ हैं.....

काफी लुट गया हूँ..थोडा कुछ पाने में...

ज़िन्दगी कभी कभी कोई उदास शाम को लाचार बुढिया की तरह पुराने दिनों की black & white फोटो के सामने बैठ ke आंसू बहाती दिखाई पड़ती हैं...