एक बार पूरी काइनात से पंगा ले लिया था मैंने...
एक बार चाँद और सूरज के बीच झगडा करवा दिया था मैंने
मुझे क्या पता था के वो सचमुच चला जाएगा
सिर्फ मजाक में ही तो उसे अलविदा कहा था मैंने
और तबसे भागता फिरता हैं खुदा मुझसे
जबसे इंसानी ताक़त का एक नमूना दिखाया था मैंने
पता नहीं था के पूरे-पुरे शहर बहा लेजायेगा वो
बस यूँही एक बार सावन को अपनी पूरी ताक़त दिखने को कहा था मैंने
चाँद टुकड़े टुकड़े हो के गिर पड़ा था कल रात को
गुस्से में आकर एक तारा आसमान की तरफ फेंका था मैंने
दीवानगी अभी भी उतिनी ही हैं 'काफिर' की, बस नुमाइश नहीं करता
कई बार वरना सिर्फ रौशनी के लिए चाँद को कमरे में टांगा था मैंने
amazing
ReplyDeletebahut bahut dhanyawaad geetaji
ReplyDeletefantastic!!
ReplyDeleteThanks Namrata
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