इंसान सुनाएगा आज फैसला के किसका ख़ुदा कहाँ रहेगा..
ख़ुदा का मुआमला हैं..हमे क्या ज़रुरत हैं परेशान होने की?
हमे क्या ज़रुरत हैं दूसरों के मुआमलो में दखल देने की?
जिसने काइनात बनाई हैं पूरी..वो क्या चंद लोगों की बात मानके खुश हो जाएगा?
बेशक बना सकता हैं घर अपने लिए जहां चाहे वो...
हम क्यों परेशान होते हैं के कहाँ रहेगा?
दुसरे के घर में ताक-झाँक करने की आदत से हम कब बाज़ आयेंगे?
वाह प्रेरक भाई.... बहुत सच्ची बात कही है और बहुत अच्छे तरीके से कही है... हम लोगों की आदतें भी बस बरसों से बिगड़ती ही जा रही हैं... बढ़िया....
ReplyDeleteTY DOST.....
ReplyDeletejaisa maine socha tha, tum to usse badhke nikle
ReplyDeletedhanyawaad geetaji...
ReplyDeleteye mera style hain likhne ka..ye shayad koi theory ko follow nahin karta..par mujhe uski parwaah nahin hain...hausla afzaai ke liye shukriya...